राष्ट्रीय हैंडलूम डे के दस साल पूरे

राष्ट्रीय हैंडलूम डे के दस साल पूरे

पटना, 06 अगस्त। राष्ट्रीय हैंडलूम डे ने आज 10 साल पूरे कर लिए हैं। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस हर वर्ष 7 अगस्त को मनाया जाता है, ताकि 1905 में शुरू हुए स्वदेशी आंदोलन की स्मृति को जीवंत रखा जा सके। इस आंदोलन ने स्वदेशी भावना और स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित किया, जिनमें हथकरघा बुनकर भी शामिल थे। वर्ष 2015 में भारत सरकार ने इस दिन को “राष्ट्रीय हथकरघा दिवस” के रूप में घोषित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने यह बात कही थी कि “आज़ादी का जंग जब चल रहा था… उस समय गुलामी से मुक्ति के लिए हैंडलूम एक हथियार था। आज आजाद भारत में गरीबी से मुक्ति के लिए हैंडलूम एक हथियार बन सकता है।” इस दिन का मुख्य उद्देश्य हथकरघा को बढ़ावा देना, बुनकरों की आमदनी बढ़ाना, और उनके काम पर गर्व की भावना को मजबूत करना है।

हथकरघा क्षेत्र हमारे सांस्कृतिक विरासत में एक विशेष स्थान रखता है। पीढ़ी दर पीढ़ी लोग बुनाई और डिजाइन की कला को सीखते और सिखाते आ रहे हैं। हथकरघा उद्योग न केवल रोजगार सृजन का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को भी सुरक्षित रखता है। यह क्षेत्र महिला सशक्तिकरण का एक प्रमुख जरिया है, जिसमें 72% काम करने वाले लोग महिलाएं हैं।
भारत सरकार हथकरघा क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं- राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम, कच्चा माल आपूर्ति योजना। इन योजनाओं से बुनकरों को धागा, करघा, प्रशिक्षण, डिजाइन बनाने और बेचने में मदद मिलती है। सरकार सस्ते दर पर लोन भी देती है ताकि बुनकर अपना काम अच्छे से कर सकें।

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