मंज़िल तक पहुँचने का रास्ता आपकी मेहनत से ही तय करती है

मंज़िल तक पहुँचने का रास्ता आपकी मेहनत से ही तय करती है

आदित्य कुमार पोद्दार, पिता श्री धर्मेन्द्र पोद्दार जी,मांड़र खगड़िया
और
अनुराग भारती जो श्री देवनारायण पोद्दार जी वरिष्ठ संरक्षक,वैश्य पोद्दार महासभा बिहार के नाती हैं,
मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हेतु नीट परीक्षा में सफलता हासिल किये हैं।

इनके साथ साथ समस्त बच्चों को अनंत शुभकामनाएं जिन्होंने अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की हैं

आज के समय में हर छात्र की यह इच्छा होती है कि वह परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करे, ऊँचे अंक लाए और अपने सपनों को साकार करे। लेकिन एक सवाल हम सबके मन में आता है — क्या केवल कोचिंग ही हमें सफलता दिला सकती है?
मेरा उत्तर है – नहीं।
आज मेरे इस उत्तर को (अनुराग) इन बच्चों ने यह सिद्ध करके बता दिया
सफलता का असली रास्ता हमारी मेहनत, लगन और स्व-अध्ययन से होकर गुजरता है।
स्व-अध्ययन यानी Self-Study – यह वह प्रक्रिया है जिसमें छात्र स्वयं समय का प्रबंधन करता है,
अपने कमजोर विषयों को पहचानता है, और गहराई से समझने का प्रयास करता है।
यह आत्मनिर्भरता, अनुशासन और आत्मविश्वास का प्रतीक है।
आजकल कई छात्र कोचिंग संस्थानों की चमक-दमक में खो जाते हैं।
बड़े-बड़े वादे, महंगे विज्ञापन और भीड़-भाड़ की कक्षाएँ – यह सब हमें भ्रमित कर देती हैं।
परंतु क्या हर सफल छात्र कोचिंग गया होता है? नहीं।
इतिहास गवाह है कि कई सफल छात्रों ने बिना किसी कोचिंग के केवल स्व-अध्ययन के बल पर बड़ी-बड़ी परीक्षाएँ पास की हैं।
उन्होंने समय का सही उपयोग किया, मन लगाकर पढ़ाई की और अपने भीतर की क्षमता पर भरोसा किया।
मैं यह नहीं कहता कि कोचिंग पूरी तरह से गलत है।
अगर सही मार्गदर्शन की ज़रूरत हो, तो कोचिंग मदद कर सकती है।
लेकिन उस पर पूरी तरह निर्भर रहना उचित नहीं।
कोचिंग एक सहायक माध्यम हो सकती है, पर मंज़िल तक पहुँचने का रास्ता आपकी मेहनत से ही तय होगा।
अंत में, मैं यही कहना चाहता हूँ कि:
👉 सफलता किसी कोचिंग सेंटर में नहीं, बल्कि आपकी मेज़ पर रखी किताबों में छुपी है।

👉 खुद पर भरोसा रखें, लक्ष्य तय करें, और पूरी ईमानदारी से मेहनत करें।

👉 स्व-अध्ययन को अपनी आदत बना लें, यही आपके उज्ज्वल भविष्य की नींव बनेगा।

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